देवरहा बाबा: एक रहस्यमयी सिद्ध पुरुष
01. परिचय और जीवन
देवरहा बाबा उत्तर प्रदेश के देवरिया ज़िले से संबंध रखते थे। उनका जन्म-स्थान और जन्म-तिथि का कोई विश्वसनीय रिकॉर्ड नहीं है, और उनकी उम्र को लेकर बातें भी अलग-अलग हैं — कुछ मानते थे उन्होंने 250 साल, तो कुछ मानते थे 500–900 साल तक जिया ।
वह उत्तर प्रदेश के देवरिया से करीब सलेमपुर तहसील स्थित “मइल” और सरयू नदी के किनारे रहने लगे, और इसी वजह से उन्हें देवरहा बाबा कहा जाने लगा ।
02. रहन-सहन और साधना
देवरहा बाबा का जीवन बिल्कुल साधारण और सन्यासी थ वे मचान (लकड़ी का ऊँचा मंच) पर रहते थे और सिर्फ सुबह ही नदी में स्नान करने नीचे आते थे। उनके शरीर पर केवल मृग-छाला की ओढ़नी होती थी और उनके सामने लकड़ी की पट्टी होती जिससे उनकी अर्ध-नग्नता छुपी रहती थी । उनका भोजन भी असाधारण था — कहा जाता है उन्होंने कभी कुछ नहीं खाया, सिर्फ दूध, शहद, या श्रीफल का रस ग्रहण किया करते थे ।
03. आध्यात्मिक शक्तियाँ और चमत्कार
देवरहा बाबा को “Ageless Yogi” कहा जाता था क्योंकि माना जाता है कि उन्होंने लंबे समय तक अपनी मृत्यु को नियंत्रित रखा — जिसे Khecheri Yoga की महान साधना माना जाता है । वे ऐसी साधाना में पारंगत थे कि भूख, बुढ़ापा और मृत्यु तक को साधनात्मक तरीके से जी रहे थे।
उनकी साधन-शक्ति की वजह से भक्तों का विश्वास इतना अटूट था कि वे बिना पूछे लोगों में छिपी बातों को जान लिया करते थे। उनकी अपनी साधना, ज्ञान और समाधिस्थता से कई बड़े लोग प्रभावित हुए ।
03. राजनीतिक और सामाजिक प्रभाव
इतनी साधना और प्रभावशाली छवि के कारण, देवरहा बाबा का समादर राजनीतिक नेताओं और विभूतियों में भी था — जैसे डॉ. राजेंद्र प्रसाद (भारत के पहले राष्ट्रपति), मदनमोहन मालवीय, अटल बिहारी वाजपेयी, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, लालू प्रसाद यादव, मुलायम सिंह यादव समेत कई लोग उनके आश्रम में आशीर्वाद लेने जाते थे ।
एक दिलचस्प किस्सा ये भी है कि इंदिरा गांधी ने जब चुनाव हारने के बाद बाबा से आशीर्वाद लिया, तब उन्होंने उन्हें हाथ का पंजा (हाथ उठा कर) आशीर्वाद दिया था—जिसके बाद कांग्रेस ने चुनाव चिन्ह “हाथ का पंजा” अपनाया और 1980 में भारी जीत हासिल की ।
04. आध्यात्मिक संदेश और शिक्षाएं
देवरहा बाबा की शिक्षाएँ सरल और सशक्त थीं— वे राम और कृष्ण भक्ति, योग, वेद, उपनिषद, रामचरितमानस, और गीता संबंधी ज्ञान देते थे। भक्तों को उन्होंने राम मंत्र और कभी-कभी कृष्ण या नारायण मंत्र की दीक्षा भी दी ।
उन्होंने यह संदेश भी दिया कि गोसेवा और गोरक्षा यह भारत की दिव्यता के आधार हैं, और इन्हें छोड़कर आत्मिक उन्नति संभव नहीं ।
05. महाकुंभ और अंतिम दिनों का प्रभाव
1989 के महाकुंभ में प्रयागराज—उन्होंने वहां भी भाषण दिया और उनके विचारों की सराहना हुई। कहा जाता है कि उनका शरीर यमुना नदी में विसर्जित हुआ, और अंततः वे 19 जून 1992 में इस संसार से चले गए ।
06 सारांश (Highlights)
विषय विवरण
नाम देवरहा बाबा (अज्ञात जन्मस्थान, देवरिया से सम्बंधित) जीवनशैली मचान पर साधना, कठिन तप, अर्ध-नग्नता, न्यूनतम आहार योगिक उपलब्धि Khecheri Yoga में महारत, आयु और मृत्यु पर नियंत्रण आध्यात्मिकता राम और कृष्ण भक्ति, मंत्र दीक्षा, साधना मार्गदर्शन प्रतिकृति राजनीतिक और सामाजिक बड़े नेता उनका सम्मान करते थे
मृत्यु 19 जून 1992, विदाई यमुना किनारे वृंदावन में
निष्कर्ष:
देवरहा बाबा एक ऐसा रहस्यमयी योगी और साधु थे जिनकी जीवनशैली और आध्यात्मिक साधना ने कई लोगों को प्रभावित किया। उनका संदेश आज भी भक्तों में श्रद्धा और आध्यात्मिक चेतना जगाता है। यदि आप चाहें, तो मैं उनकी तुलना अन्य योगी-saints या उनकी अस्थानी
(समाधि स्थल) की यात्रा संबंधित जानकारी भी लिख सकता हूँ।