संत एकनाथ जी महाराज: भक्तिरस, सामाजिक चेतना और आध्यात्मिक क्रांति के महान
संत एकनाथ जी महाराज भारतीय संत परंपरा में अनेकों संतों ने अपने जीवन और उपदेशों से समाज को नई दिशा दी। ज्ञानेश्वर महाराज, नामदेव, तुकाराम, रामदास, मीराबाई आदि जैसे अनेक संतों की श्रृंखला में संत एकनाथ जी महाराज (1533–1599 ई.) का नाम अत्यंत पूजनीय और प्रेरणादायी है। वे महाराष्ट्र की वारकरी परंपरा के प्रख्यात संत, कवि, समाज-सुधारक और आध्यात्मिक आचार्य थे। संत एकनाथ जी ने अपने जीवन से यह प्रमाणित किया कि भक्ति केवल मंदिरों और भजनों तक सीमित नहीं है, बल्कि सच्ची भक्ति वही है जो समाज में समानता, दया, करुणा, भाईचारे और सेवा के रूप में प्रकट होती है। आइए अब हम संत एकनाथ जी महाराज के जीवन, उनके साहित्य, भक्ति आंदोलन में उनके योगदान, सामाजिक सुधार, आध्यात्मिक उपदेश और उनके समग्र प्रभाव को विस्तार से समझते हैं। 1. संत एकनाथ जी का जन्म और प्रारंभिक जीवन संत एकनाथ जी का जन्म महाराष्ट्र के प्रख्यात नगर प्रयागनगर (आज का पैठण) में हुआ था। उनका जन्म वर्ष 1533 ई. (शक संवत 1455) में हुआ। उनके पिता का नाम सूर्यनारायण कुलकर्णी और मात...